देव भूमि कुल्लू

देवी-देवताओं की घाटी कुल्लू में आप का स्वागत है I
THE VALLEY OF DITIES KULLU WELCOMES YOU.


Wednesday, September 15, 2010


AGAIN NO INVITATION TO SHRINGA RISHI AND BALU NAG...
‎17 अक्टूबर से शुरू होने वाले कुल्लू दशहरे में प्रशासन ने इस बार भी अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा लोक उत्सव में बालू नाग व श्रृंगा ऋषि को निमंत्रण पत्र नहीं भेजा है। ऐसा इस लिए किया गया है ताकि धार्मिक उत्सव में शांति का माहौल बनाये रखा जा सके...,दशहरा उत्सव में प्रशासन ने 290 देवी-देवताओं को निमंत्रण पत्र भेजे हैं।

उत्सव के पहले और आखिरी दिन होने वाली भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के दौरान धुर यानी दाईं ओर चलने को लेकर दोनों देवताओं के मध्य चल रहा विवाद नहीं सुलझ पाया है। दोनों देवताओं के देवलु॒ धुर॒ में चलने को लेकर अड़े हुए॒ हैं।यहाँ तक कुछ वर्ष पूर्व प्रशासन को बल का प्रयोग भी करना पड़ा था . लिहाजा, विवाद नहीं सुलझने के कारण इस साल भी प्रशासन दोनों देवताओं को निमंत्रण पत्र नहीं भेजेगा।

कुल्लू जिले में कुल 365 देवी-देवता पंजीकृत हैं। अन्य देवी-देवताओं को जोड़ दें तो आंकड़ा 400 के पास पहुंच चुका है। कुल्लू में अठारह करड़ू की जय-जयकार है। इसी के तहत भगवान रघुनाथ जी महाराज के दाई ओर चलने को लेकर दो देवताओं बालू नाग व श्रृंगा ऋषि का विवाद बढ़ता जा रहा है। इस विवाद को धुर विवाद से भी जोड़ा गया है।

दशहरा समीति की बैठक में खुलासा हुआ है कि इस बार भी इन दो देवताओं को पिछले वर्ष की तरह दशहरा लोक उत्सव में नहीं बुलाया जाएगा और उन्हें निमंत्रण पत्र नहीं दिए गए हैं। पिछले वर्ष दशहरा लोक उत्सव में 219 देवी-देवताओं ने हाजिरी भरी थी। इस बार प्रशासन अधिक से अधिक देवी-देवताओं को बुलाने के प्रयास में हैं।

प्रशासन के लिए बालू नाग व श्रृंगा ऋषि का मामला हमेशा परेशानी भरा रहता है। देवी-देवताओं की राय सबसे बड़े देवता के समक्ष उठाई जाए तो धुर विवाद हल हो सकता है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी प्रशासन व सरकार ने दो देवताओं के विवाद को हल करने में पूरा जोर लगाया था लेकिन मामला हल नहीं हुआ। पिछले वर्ष भी दोनों देवता बिना निमंत्रण के दशहरा पर्व में आ पहुंचे थे। इसलिए दशहरा समीति के चेयरमैन ने दशहरा लोक उत्सव की प्राचीन परंपरा व देवी-देवताओं के मान सम्मान पर प्रशासन को अधिक बल देने तथा मामले को हल करने को कहा है।
The ego clash among devlus is not a good sign.The kardars,devlus and local administration should amicably solve this dispute otherwise the cermonial rath yatra of Raghunath will become null and void in future in the absence of some of these dities.Resolving this dispute is the need of hour.

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